The 5-Second Trick For bhairav kavach
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जले तत्पुरुषः पातु स्थले पातु गुरुः सदा
अनुष्टुप् छन्दः । श्रीबटुकभैरवो देवता ।
चतुवर्गप्रदं नित्यं स्वयं देवप्रकाशितम् । (
ॐ अस्य श्रीबटुकभैरवब्रह्मकवचस्य भैरव ऋषिः ।
ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः ।
भुर्जे रंभात्वचि वापि लिखित्वा विधिवत्प्भो। ।
महाकालमहम् वन्दे सर्वसिद्धिप्रदायकम् ।
॥ ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीम् ॥
ಆಗ್ನೇಯ್ಯಾಂ ಚ ರುರುಃ ಪಾತು ದಕ್ಷಿಣೇ ಚಂಡಭೈರವಃ
इसका जप कवच से पहले और बाद में ११ या २१ बार करें ॥
महाकालाय सम्प्रोच्य कूर्चं दत्वा च ठद्वयम् ।
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